I simple person who want to enjoy every second of his life...!!!

Monday, January 25, 2010


Full बकवास, Only for Time Pass

इस बार मैने सोचा, की भाई दूसरो की तो बेज़्जती तो बहुत हो गई, क्यूँ ना इस बार खुद की ही इज़्ज़त का फलुदा बेनाने की कोशिश की जाय, पर फिर ख़याल आया की भाई मे तो सिर्फ़ बड़े सुपर स्टार्स की ही धज्जियाँ उड़ा रहा था, फिर मे अपने बारे मे कैसे लिख सकता हूँ .... पर फिर सोचा की आख़िर क्युं नही.. माना की मे दुनिया के नज़र मे कुछ नही हूँ .. पर इससे क्या फ़र्क पड़ता है .. अपनी नज़र मे तो मे भी किसी सुपर स्टार से कम नही हूँ.. तो चलो इस बार अपनी ही इज़्ज़त का फलुदा बनाने की कोशिश कर के देखते है.

निशांत कुमार, एक सीनियर सॉफ्टवेर इंजिनियर जो एक मल्टिनॅशनल कंपनी मे काम करता है और पीछले 4.5 साल से Java/J2EE टेक्नालजी पर काम कर रहा है, Java की काफ़ी अच्छी नालेज है उसे और जब चाहे और जिस कंपनी का चाहे इंटरव्यू फोड़ कर जॉब चेंज कर सकता है, ऐसा हम नही कह रहे, उसका मानना है, हालाँकि सचाई उससे काफ़ी दूर है, अब उस बेचारे को क्या पता की असलियत मे तो Java का "J" भी नही आता है उसे और उससे तो अच्छा, अगर किसी पाँचवी पास को 1 महीने की ट्रैनिंग दोगे तो वो भी इससे अच्छी कोडिंग कर लेगा, वो तो एक नंबर का बेवकूफ़ आदमी है

पर कुछ भी कहो लड़का तो बहुत अच्छा है वो, और स्मार्ट भी तो कितना है, जितना स्मार्ट वो है उतना स्मार्ट तो कोई भी नही होगा दुनिया मे. और आपको पता भी है की उसकी कंपनी की सारी लड़कियाँ इस पर लाइन मारती है और ये जिसे चाहे उसे पटा सकता है. ऐसा हम नही कह रहे, ये तो उस बेचारे का सोचना है और हो भी क्युं ना, सोचने मे कौन से पैसे लगते है. अब साले को क्या पता की जितनी सड़ी हुई अकल है उतनी ही सड़ी हुई शक़्ल है उसकी. उपर से जब बॉल और दाढ़ी बढ़ा लेता है तो उसकी शक़्ल हिन्दी movie "China Gate" के डाकू “जगीरा“ से बहुत मिलती है. उसे क्या पता कितनी भयानक और डरावनी शक़्ल है उसकी, अगर वो चाहे तो बिना किसी मेकअप के किसी भी हॉरर movie मे काम कर सकता है.

पर कुछ भी कहो लड़का तो बहुत अच्छा है वो, और हाँ एक बात तो बताना भूल ही गया की कितनी अच्छी कविता लिखता है वो, हरिवंश राय बच्चन ने भी कभी इतनी अच्छी कविता नही लिखी होगी जितनी अच्छी वो लिखता है, ऐसा मे नही कह रहा ..ये तो वो सोचता है, अब उस बेचारे को कैसे बताएँ की ..जितनी सड़ी हुई शक़्ल और अकल है उतनी ही सड़ी हुई कविता लिखता है साला. वो तो हिम्मत है उसके दोस्तो की जो कॉलेज टाइम से उसकी सड़ी हुई कविताएँ को झेल रहे है और अभी तक जिंदा है. साले को क्या पता कितनी सड़ी हुई कविता लिखता है वो.. अगर उन कविताओं की किताब बनाई जाय तो एक ही दिन मे सारी बिक जाएँगी.. ये बात और है की लोग उसे पढ़ेंगे नही बल्कि अपने घर के चूहों को मारने के काम मे लेंगे.. क्यूंकी उन कविताओं को एक बार सुन कर तो चूहे भी सुसाइड कर लेंगे, इतनी सड़ी हुइ होती है वो कविताएँ....

उफ़..अब इससे ज़्यादा बुराई नही कर सकता मे अपनी .. लिखने के बाद जब खुद पढ़ा तो एक बार तो मे भी डर गया था की क्या लिख डाला यार.. पर अब लिख डाला तो डाला

मैने तो बस सच की कहा, अब अपने दिल पर लगी तो मे क्या करू मे तो बस यही कह सकता हूँ की दिल पर मत ले यार