I simple person who want to enjoy every second of his life...!!!

Friday, November 6, 2009

Difference in Attitude.."Why Me" or "Try Me" (For all Sachin fans..)



Yesterday (5th Nov 2009)…. We again lost the match against Australia in Hyderabad. We all were disappointed, we all were sad, we all were upset and we all were angry also. It was 5th match of the series and second time in this series we lost the match in crunch situation.
It was day night match and Australia bated first and scored huge total of 350/4. Few Indian fans have already given up when they saw this huge total of Australia. But some Die-Hard fans of India were still hoping that we can win this match and I was the one of them. In this match Sachin played best knock of his carrier and scored 175 runs in just 141 balls with 19 fours and 4 big sixes. In this inning he played many classical shots specially one pull shot for six on Waston’s ball and two big sixes on mid-off on Hauirtz’s balls but nobody else supported him and we lost this match in spite of his brave inning. When he got out he were only 18 runs behind and we still had 17 balls left with three wickets.
I was very disappointed because he had scored half of the total score and other 10 players could not score remaining ones. This was not the first time when he played brilliant inning for India and all gone in vain. This already happened many times when he scored runs but nobody else supported him and even other players could not score remaining 15-20 runs. So whenever this happen with Sachin I always asked to GOD that why you do all this with this great man. So yesterday also I started arguing with GOD that you again did all this with Sachin. He always played with full dedication and with full hard work and he is doing all this from last 20 yrs..This is not fair with him, GOD. Why you do all this with Sachin only, why GOD why.. “Why ONLY HE?”
GOD replied.. Cool down my son, don’t get angry, do you want to know that why all this happen with Sachin, all this happen with Sachin just because of his attitude..He has different and unique attitude. Whenever I put him in difficult or tough situation or whenever I tried to put him down, He always gets up and say, “OK Boss, you wanna test me........... no probs, I am ready – TRY ME”. But he never said “WHY ME” and that’s why he is Sachin and that’s why he got so many chances in his life. He is not a common man, my son. Ya I agree with you that sometimes it happened that when he scored but still India could not won those matches. But my son, this is smaller picture. Look at the bigger picture…….

 He is the only batsman who has scored 45 hundreds in one day cricket and out of those 45 hundred, he turned 30 matches into India's win and in cricket history no other player even get the chance to made 30 centuries in his carier,leave alone the matches won with their centuries.

 He is the only batsman who scored 100+ and 90+ in two consecutive finals against Australia in Australia and that’s why we could beat Australia in two straight finals.

 He was the only batsman who scored more than 500 runs in two world cups and that’s why we could reach up to semifinal’s and final’s.

My son, this is not the end of the story..”PICTURE ABHI BAKI HAI DOST”. He will play many more such kind of innings for India and will score many more centuries for India. So just remember one thing that never say “WHY ME”.... always ask for “TRY ME”.

Saturday, October 24, 2009

मेरी शादी का कार्ड

मेरा मानना है की दुनिया मे अगर कोई सबसे आसान काम है तो वो है दूसरों पर हँसना और मेरे ख्याल से हम सभी अपनी आधी से ज़्यादा ज़िंदगी यही काम करते रहते है.. मतलब दूसरों पर हंसते रहते है, पर दुनिया मे अगर किसी मुस्किल काम की बात की जाय तो शायद वो होगा खुद पर हँसना..तो कुछ ऐसी की कोशिश मे कर रहा हूँ और यही सोच कर मैने अपनी ये कविता लिखी है जिसका शीर्षक है ..

मेरी शादी का कार्ड


एक बार की बात है, सनडे का दिन था ऑफीस की छुट्टी थी और हम घर पर बैठे छुट्टी का आनंद ले रहे थे,
की तभी अचानक डोर बेल बजी, हमने उठकर जैसे ही दरवाजा खोला , तो सामने खड़ा पोस्टमेन बोला
ये लीजिए श्रीमान आपकी शादी का कार्ड. हमने पोस्टमेन की बात पर ध्यान नही दिया, और बस अपना दरवाजा बंद किया.
पर जैसे ही लिफाफे पर नज़र डाली, तो उस पर भी वही 4 शब्द लिखे थे.." आपकी शादी का कार्ड"
और उसके नीचे लिखा था..अगर कुछ नही समझे तो कार्ड खोलो और आगे पढ़ो.हमारी समझ मे कुछ नही आ रहा था.. सो हमने लिफ़ाफ़ा खोला और कार्ड पड़ना आरंभ लिया.लिफाफे पर सबसे उपर की तरफ एक श्लोक सा लिखा था, जैसा की हर कार्ड पर लिखा रहता है श्लोक कुछ विचित्र सा था और कुछ इस प्रकार था.


"आपकी शादी का कार्ड तो कई दिन से तेयार था,
पर हमे तो आज के दिन का इंतजार था,
बड़ी मुस्किल से ये शुभ घड़ी हे आई,
प्यारे दोस्त बधाई तो बधाई............ "


और उसके नीचे लिखा था..

परम पिता परमेश्वेर की असीमअनुकंपा से चिरंजीवी निशांत कुमार उर्फ बेवकूफ़ रामजी एवं आयुष्मती मूर्ख महारानी उर्फ बेवकूफ़ देवी का अशुभ विवाह आज 1 April सन 2009 को तय हुया है सो सभी श्रोताओं से अनुरोध है की नव वर वधू को आशीर्वाद प्रदान करें.

चिरंजीवी निशांत कुमार
एवं
आयुष्मती मूर्ख महारानी

मे कार्ड तो पड़ता जा रहा था ..पर मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था. बस हाँ इस कार्ड को बनाने की साजिश मे मुझे पड़ोसी मुल्क का हाथ नज़र आ रहा था. इस पेज के आख़िर मे भी लिखा था ..अगर कुछ नही समझे तो पेज पलटो और आगे पढ़ो.

मैने पेज पलटा और अगला पेज देखा तो उस पर सबसे उपर की तरफ लिखा था..


शादी के कार्याक्र्म


1. सगाई -- समय जब अपने कार्ड पड़ना आरंभ किया होगा ..अर्थाथ हो चुकी होगी..बधाई हो.
2. गघाचड़ी -- समय जब अपने शादी के कार्याक्र्म पढ़ने आरंभ किए होंगे..अर्थाथ हो चुकी होगी..बधाई हो.
3.संपूर्ण शादी -- बेटा अगर अभी भी कुछ नही समझे तो समझो की उसका भी वक़्त आ गया है.

इतना पड़ते भी हम गभराने लगे और हमे दिन मे भी तारे नज़र आने लगे पर अभी भी हमारी समझ मे कुछ नही आ रहा था पर मेरा सिर बड़ी ज़ोर से चकरा रहा था.

इस पेज के आख़िर मे भी लिखा था की अभी भी कुछ नही समझे तो आख़िरी पेज भी पढ़ लो.

मैने डरते डरते आखरी पेज खोला तो वैसे तो पूरा पेज खाली था ..बस लास्ट मे लिखा था "अति विशेष सूचना" इतना पड़ते ही हम मान ही मान मे बोले ..हे भगवान अब ये अति विशेष सूचना तो कुछ राज़ खोले.

अति विशेष सूचना कुछ इस प्रकार थी ..

ए हमारे प्यारे मित्र ..अगर तुम इस अति विशेष सूचना को पढ़ रहे हो तो ये समझ लो की हम अपने अपने कार्य मे पूरी तरहा से सफल हो गये है और इस कार्ड को बनवाने के सारे पैसे भी वसूल हो गये हे . क्युंकि ये ना तो किसी की शरारत है और ना हे किसी की भूल ..अभे गधे तारीख तो देख आज है April Fool !!!!

Sunday, October 11, 2009

सुनील पंत उर्फ ताउ जी....नाम ही काफ़ी है.



आज मे जिस शक्स का ज़िक्र करने जा रहा हूँ वैसे तो वो बहुत सीधा सादा और गंभीर टाइप का लगता है और शायद इसी कारण लोगो ने इन्हे "ताउ जी" जैसी बड़ी और सम्मानजनक उपाधि से सुशोभित किया है पर मूज़े लगता है की इस शांत और गंभीर किस्म के इंसान मे एक छोटा सा बालक भी छुपा हुया है जो अक्सर ही २-४ पेग के बाद बाहर आ जाता है.

वेसे कुछ लोगो का मानना है की bollywood के star उदय चोपड़ा की शक़ल भी इनसे मिलती है पर मेरा मानना है की पंत जी अपने मे एक star है और इनके मुक़ाबले का bollywood मे तो क्या hollywood मे भी नही मिलेगा. पंत जी अपने आप मे यूनीक है, फिर चाहे पंत जी की बाते हों, उनकी चाल या उनकी स्माइल.. हर चीज़ मे एक नयापन है.

वो उनका एक कंधे को हल्का सा ज़ुका कर चलना, कम्बक़्त किसको ना दीवाना बना दे. वैसे कुछ लोग ये भी कहते है की ये Anjlina jolie के भाई है क्यूंकी इनके और Anjlina jolie के होंठ बिल्कुल मिलते है और उन बड़े बड़े होंठो से निकलती वो कातिल सी स्माइल भी खफी हद तक मिलती है.

और पंत जी की बातों का तो क्या ही कहना. अगर पंत जी मूड मे हो तो सबकी छुट्टी कर दे . फिर चाहे राजू श्रीवास्तव हो या नवीन प्रभाकर. वो कहते है ना... किसी भी movie को हिट बनाने के लिए एक दो आइटम songs का होना ज़रूरी होता है उसी तरहा किसी भी पार्टी या महफ़िल को हिट बनाने के लिए पंत जी का होना भी ज़रूरी होता है.

अब अगर पंत जी की बात हो और उनके dance की बात ना हो .. तो यही बात होगी की सचिन की बात हुई और क्रिकेट की नही हुई. जीतने मस्त पंत जी है उतना ही मस्त है उनका dance...सबसे हटके और सबसे अलग. लोग तो यहाँ तक कहते है की शादी मे dance हो तो पंत जी जैसा हो वरना ना हो.

तो ओवर ऑल पंत जी एक मस्त टाइप के इंसान है जो बस हँसने हंसाने और पीने पिलाने मे विश्वास रखते है.

वैसे अगर लिखा जाय तो पंत जी पर एक पूरी किताब लिखी जा सकती है पर आज के लिए इतना काफ़ी है. फिर मौका मिला तो पंत जी के कुछ और मजेदार क़िस्सो पर बात करेंगे.

Thursday, October 1, 2009

हर समस्या का एक समाधान, सरकारी संपत्ति का नुकसान ..

कितनी अजीब सी बात है ना, की जितना हम अपने घर और सामान से प्यार करते है उतना ही शायद सरकारी सामान से नफ़रत. शायद इसीलिए कोई भी समस्या या परेशानी हो सबसे पहले हम सरकारी सामान को ही नुकसान पहुचाते है.

मतलब अगर हमारे घर मे बिजली नही आती तो गुस्से मे हम सड़को पर लगी ट्यूबलाइट और बल्ब तोड़ते है और फिर सरकारी ट्रॅन्सफॉर्मर को जलाते है

बसो की हड़ताल से परेशान हो तो सबसे पहले सरकारी बसो और वाहनो को आग लगते है.

अगर हमारे घरो मे पानी ना आए तो सबसे पहले सरकारी नलो को तोड़ते है.

अगर महगाई की समस्या पर धरना देना हो तो सबसे पहले सरकारी गोदामो मे आग लगाते है.

अगर curruption से परेशान हो तो सबसे पहले सरकारी स्कूल और दफ़्तर मे आग लगते हैं.

अगर आपके शहर ट्रेन सही समय पर नही आती है तो विरोध का सबसे सिंपल तरीका है की ट्रेन रोको आंदोलन करो. ट्रेन के आगे जाम लेगा दो.

मतलब हर समस्या का बस एक समाधान , सरकारी संपाति का नुकसान.....

Saturday, August 1, 2009

काश कोई लौटा दे मेरे बचपन के वो दिन...........

काश कोई लौटा दे मेरे बचपन के वो दिन...........

वो मनपसंद की सब्जी ना बनने पर , खाना छोड कर एक कोने मे बेठ जाना ,
वो क्रिकेट की बॉल से बगल वाले अंकल की, खिड़की का शीशा तोड कर आना ,
और फिर पापा की मार के डर से , दोड़ कर मम्मी की गोद मे छिप जाना,
वो पतंग के लिए दोड़ना, और फिर ठोकर ख़ाकर गिर जाना ,
वो पापा का दौड कर आना और , फिर मुझे हॉस्पिटल ले जाना ,
और फिर बड़ी सी सुई को देख कर मेरा ज़ोर से चिल्लाना

काश कोई लौटा दे मेरे बचपन के वो दिन...........

वो दोस्तों कई साथ क्लास मे शरारत और मस्ती करना ,
होमे-वर्क भूल जाना और फिर दोस्त की कॉपी से नकल करना .
और फिर पकड़े जाने पर टीचर की मार का पड़ना
वो दोस्त से लड़ाई होने पर इंक-पेन की इंक दोस्त की कमीज़ कर छिड़कना.
वो चस्मा पहनने वाले दोस्त का चस्मा निकल कर भाग जाना ,
या एक टकले दोस्त के सर पर तबला बजाना.

काश कोई लौटा दे मेरे बचपन के वो दिन...........

वो बड़े भाई से खेल मे हारने पर लड़ाई करना.
या छोटी बहन की दोनो चोटी पकड़ कर खिचना.
वो दादी मां का परियों की कहानी सुनना .
वो दादा जी कई साथ सुबह-2 उठ कर सैर पर जाना.
वो तबीयत खराब होने पर भी चोरी-2 आइस-क्रीम का खाना.

काश कोई लौटा दे मेरे बचपन के वो दिन...........

Sunday, July 19, 2009

मेरे सामने वाले cubicle मे...

मेरे सामने वाले cubicle मे , ऐक सुंदर सी लड़की बेठती है
अफ़सोस मगर ये है की वो हमे देखती नही, बस coding करती रहती है

जिस रोज से देखा है उसको , हम अपनी coding भूल गये..
दिल थाम के बेठे हैं ऐसे किसी meeting मे जाना भी भूल गये.
अब 9.5 hour monitor पर हमे , बस उसका ही चेहरा दिखता है..
मेरे सामने वाले cubicle मे , ऐक सुंदर सी लड़की बेठती है...

मेरे सामने वाले cubicle मे , ऐक सुंदर सी लड़की बेठती है
अफ़सोस मगर ये है की वो हमे देखती नही, बस coding करती रहती है

सारे दोस्त समझा कर हार गये , बॉस भी warning देकर चले गये,
रेटिंग खराब होने और salary ना बढ़ने के, सब terror भी बेकार गये..
जाने कब coding छोड वो हमको देखेगी, दिल बस यही सोचता रहता है..
मेरे सामने वाले cubicle मे , ऐक सुंदर सी लड़की बेठती है

मेरे सामने वाले cubicle मे , ऐक सुंदर सी लड़की बेठती है
अफ़सोस मगर ये है की वो हमे देखती नही, बस coding करती रहती है

Monday, July 13, 2009

इश्क का मारा, एक आशिक बेचारा...

ये बात उस वक्त की है जब मैं 10th class मे पढता था।
मेरी class मे एक लड़की थी जिसे मैं पसन्द करता था।

ये दिल हर वक्त उसके करीब रहना चहता था...
जिस दिन वो नही आती थी, ये कमब्खत बैचैन हो जाता था।

एक बार की बात है, teacher ने English की book थी मगांई,
पर मुझे याद है की वो book थी घर भूल आई।

अगले दिन teacher class मे आई,और आते ही फ़रमाई...
की जो जो student book नही लाये , वो table पर खड़े हो जाये।

उसे table पर खड़ा होते देख हमने भी अपनी book नही निकाली और table पर खड़े हो गये।

क्या नज़ारा था......

हम भी table पर खड़े थे, वो भी table पर खड़ी थी,
एक दो बार हमारी आखैँ भी आपस मे लड़ी थी।

पर हाय रे ऐ आशिक तेरी किस्मत....

कुछ देर बाद उसे तो लड़की होने के कारण seat पर बेठा दिया,
और हमे table से उतार मुर्गा बना दिया ....

Sunday, July 12, 2009

mai kon huin !!!!!!

Zindgi agar zuya....
to mai aik Zuyari

Zindgi agar khel....
to mai aik Khilari

Zindgi agar haar....
to mai aik Anari

Zindgi agar bheekh....
to mai aik Bhikhari

Zindgi agar mandir....
to mai aik Pujari

Zindgi agar maut....
to mai aik Bimari

Zindgi agar jung....
to mai aik Sipahi

Zindgi agar sharab....
to mai aik Sharabi

Sunday, January 11, 2009

Feelings after mumbai attacks !!

Uth jaag desh ke veer jawan , ab antim yudh ki tyaari hai
pita aur bhai huye shaheed , ab aai teri bari hai...

dusman ko uske ghar tak pahuinchaker hi hum dum lengey
usse pehle aik pal bhi chain nahi hum lengey
jab tak hai zinda aik bhi dusman apna ye yudh jari hai
uth jaag desh ke veer jawan , ab antim yudh ki tyarri hai...

humpe humla lerne ki usko, uchit saze hum dengey
dherye ko jisne samja hai kamjori, sabak use shikla dengey
kuinki dherye hemari hai sakti, nahi hemari lachari hai
uth jaag desh ke veer jawan , ab antim yudh ki tyarri hai...

mata pita se hoker door desh reksha ki sapath aaj hum lengey
desh ki reksha ki khatir apne prano ki aahuti aaj hum denge
kuinki aaj mitti ka kerj huya doodh per bhari hai
uth jaag desh ke veer jawan, ab antim yudh ki tyarri hai....

Uth jaag desh ke veer jawan , ab antim yudh ki tyaari hai
pita aur bhai huye shaheed , ab aai teri bari hai...